असंतुलित विकास और सामाजिक असमानता का संबंध क्या है?
असंतुलित विकास और सामाजिक असमानता के बीच गहरा संबंध है, विशेष रूप से भारत जैसे देशों में। असंतुलित विकास का अर्थ है कि आर्थिक विकास के लाभ समाज के सभी वर्गों तक समान रूप से नहीं पहुंचते। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब कुछ क्षेत्र या समूह तेजी से विकास करते हैं, जबकि अन्य क्षेत्र या समूह पीछे रह जाते हैं। इस प्रकार का विकास आर्थिक और सामाजिक असमानता को बढ़ावा देता है।
आर्थिक असमानता: असंतुलित विकास के कारण कुछ क्षेत्रों में आर्थिक समृद्धि होती है, जबकि अन्य क्षेत्रों में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ती है। इससे आय और संपत्ति का वितरण असमान हो जाता है, जिससे समाज में आर्थिक असमानता बढ़ती है।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच: असंतुलित विकास के कारण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में भी असमानता होती है। उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं अक्सर केवल शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध होती हैं, जिससे ग्रामीण और वंचित समुदायों को इन सेवाओं से वंचित रहना पड़ता है।
सामाजिक गतिशीलता: असंतुलित विकास सामाजिक गतिशीलता को भी प्रभावित करता है। जब कुछ समूह या क्षेत्र विकास के लाभों से वंचित रह जाते हैं, तो उनके लिए आय की सीढ़ी पर आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है, जिससे पीढ़ी-दर-पीढ़ी गरीबी और असमानता बनी रहती है।
इस प्रकार, असंतुलित विकास न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक असमानता को भी बढ़ावा देता है, जिससे समाज में तनाव और अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसे दूर करने के लिए समावेशी और न्यायसंगत विकास नीतियों की आवश्यकता होती है।